सूरत. इस वक्त जब देश जी20 देशों की मेजबानी कर रहा है और सेंसेक्स सारे रिकॉर्ड तोड़ रहा है तब दुनिया में भारत की सूरत गारमेंट इंडस्ट्री भी अपने बूते प्रतिवर्ष 25 फ़ीसदी ग्रोथ के साथ बढ़ रही है। जबकि सरकार की तरफ से कपड़ा कारोबार को जितना मिलना चाहिए, उसकी लगातार कमी को पूरा टेक्सटाइल सेक्टर महसूस कर रहा है। सरकारी स्तर पर गारमेंट इंडस्ट्री की तरफ नजरें इनायत नहीं हो पा रही है। जिस वजह से कई औद्योगिक मूलभूत सुविधाएं इस इंडस्ट्री से दूर है। देश की सारी कपड़ा मंडियां साल 2014 के पहले से ही लगातार मंदी, नोटबंदी, जीएसटी आदि से जूझ रही थी। एकमात्र टेक्सटाइल सेक्टर ही ऐसा है जो चेन सिस्टम से चलता है। इसके विपरित सरकारी नीतियों के अभाव में देश की कपड़ा मंडियां आज ऑनलाइन बाजार, आयात-निर्यात में सरकारी नीतियों की कमजोरी, यार्न व केमिकल आदि में चीन जैसे देशों पर निर्भरता व धोखाधड़ी आदि चुनौतियों से जूझ रही है। इसके बावजूद यदि टेक्सटाइल सेक्टर में ग्रोथ है तो एशिया की सबसे बड़ी कपड़ा मंडी सूरत के उद्यमियों की जीवटता के कारण है। अपने बूते पर सूरत कपड़ा मंडी में देश के बड़े कॉरपोरेट हाउस नई-नई और बड़ी डिमांड के साथ आने लगे है।साड़ी और ड्रेस मटेरियल में देश-दुनिया में बड़ी पहचान रखने वाली सूरत कपड़ा मंडी का नाम गारमेंट इंडस्ट्री के साथ भी जुड़ गया है। मात्र 6-7 साल में ही गारमेंट का ना केवल कारोबार बढ़ाया, बल्कि देश की गारमेंट इंडस्ट्री को टक्कर भी दी है। सूरत में गारमेंट इंडस्ट्री की नींव 15 साल पहले कपड़ा व्यापारियों ने ही रखी थी। तब सूरत में गारमेंट के 100 ही उत्पादक थे। अब गुजरात में ही 1000 से ज्यादा उत्पादक हैं और सूरत में 10000 करोड़ का सालाना कारोबार हो चुका है। जो प्रतिवर्ष 25 फ़ीसदी ग्रोथ से बढ़ रहा है। निकट भविष्य में साकार होने वाले पीएम मित्रा टैक्सटाइल पार्क से सूरत की इस नई व तेजी से उभरती गारमेंट इंडस्ट्री के विकास की छलांग भरने की उम्मीद बरकरार है।
सूरत मंडी में सिंथेटिक कपड़ा उत्पाद में उद्यमियों ने अपने बूते ए-टू-जेड संसाधन खड़े कर दिए हैं। यहां कॉस्ट वाइज, प्रॉफिट ऑफ मार्जिन, लेबर कॉस्ट, ट्रेड कंम्पटिशन और क्वांटिटी प्रोडक्शन की सहूलियत है, जो जयपुर, अहमदाबाद, इंदौर, कोलकाता समेत अन्य गारमेंट इंडस्ट्री में नहीं है। कोरोना काल में जब सब कुछ उतार पर था तब सूरत की गारमेंट इंडस्ट्री अपनी पूरी ऊंचाई पर थी। दुनिया को मास्क व पीपीई किट चीन की टक्कर में सूरत ही सप्लाई कर रहा था। कई नए भी प्रयोग किए। जानकारों के मुताबिक, दुनिया में भारत के लिए टेक्सटाइल सेक्टर जबर्दस्त ग्रोथ का जरिया है। बस कपड़ा उद्यमियों को आयात-निर्यात पॉलिसी, जीएसटी, छूट-मदद आदि नीतियों में सरकार यदि जरा सा और साथ दे।